आज उत्तर प्रदेश के नरौरा में नमामि गंगे एवं WII द्वारा संचालित ‘कछुआ बचाव एवं पुनर्वास केंद्र’ के अवलोकन का अवसर मिला।
आज उत्तर प्रदेश के नरौरा में नमामि गंगे एवं WII द्वारा संचालित ‘कछुआ बचाव एवं पुनर्वास केंद्र’ के अवलोकन का अवसर मिला।
यह केंद्र गंगा नदी की पारिस्थितिकी और जैवविविधता की रक्षा हेतु भारत सरकार के संकल्प का एक सजीव प्रमाण है।
गंगा में पाई जाने वाली 14 प्रजातियों में से 6 प्रजातियों के कछुओं को यहाँ संरक्षित किया जाता है।
मछुआरों के जाल में फँसकर घायल हुए कछुओं का यहाँ उपचार, देखभाल और पुनर्वास किया जाता है। स्वस्थ होने के बाद उन्हें फिर से माँ गंगा की गोद में लौटाया जाता है।
आज कछुओं को भोजन कराया, और भावनात्मक जुड़ाव से तीन कछुओं के नाम रखे:
सिंदूर – जिसका एक पैर नहीं है, पर साहस और जीवन के प्रति उसकी जिजीविषा प्रेरक है।
शक्ति – जो तेज़, जीवंत और सतर्क है।
जलज – जो गंगा की तरह शांत और निर्मल है।
सिंदूर अब इस केंद्र की विशेष निगरानी में रहेगा।
इस अनुभव ने यह स्मरण कराया कि नदी सिर्फ जलधारा नहीं, संस्कृतिधारा है और माननीय प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi सर के नेतृत्व में ‘नमामि गंगे’ जैसे अभियान इस अमूल्य धरोहर की रक्षा में क्रांतिकारी भूमिका निभा रहे हैं।