“गंगा हमारी माँ हैं और माँ का संरक्षण केवल कर्तव्य नहीं, श्रद्धा का विषय है।”
“गंगा हमारी माँ हैं और माँ का संरक्षण केवल कर्तव्य नहीं, श्रद्धा का विषय है।”
आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले के बसी घाट पर नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत आयोजित विशेष कार्यक्रम में उपस्थित रहकर आनंद की अनुभूति हुई।
कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों, विशेषज्ञों, गंगा प्रहरियों, स्वयंसेवकों और जागरूक नागरिकों की सक्रिय सहभागिता ने यह स्पष्ट कर दिया कि नदी संरक्षण अब एक राष्ट्रव्यापी जनचेतना का विषय बन चुका है।
मैंने सभी से प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने का आह्वान किया। यह गंगा की निर्मलता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है, और इससे निपटने के लिए जन-जागरूकता व व्यवहार में बदलाव बेहद आवश्यक है।
गंगा प्रहरियों और स्थानीय भागीदारी की भूमिका इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत है। उनके समर्पण को नमन करता हूँ।
गंगाजल में जलीय जीवन की वापसी, गंगा पुनर्जीवन की दिशा में हमारी प्रगति का सकारात्मक संकेत है।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर हम मिट्टी, जल और जनस्वास्थ्य तीनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक के माध्यम से निगरानी और डेटा-आधारित कार्यवाही अब अधिक सटीक और प्रभावी हो पाई है।
गंगा केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि आगामी पीढ़ियों के लिए हमारी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक विरासत का संकल्प है।